आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को ध्यान में रखकर रोगों का इलाज करने का प्रणाली है। बुखार एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान बढ़ जाता है और यह अनेक कारणों से हो सकता है। यहाँ, हम जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार बुखार के समय घरेलू उपाय क्या हो सकते हैं।

आयुर्वेद में बुखार का सही उपचार

  1. शीतलीकरण और शीतकरी प्रणायाम: बुखार के समय, शीतलीकरण और शीतकरी प्रणायाम का अभ्यास करना फायदेमंद हो सकता है। इससे शरीर का तापमान कम होता है और व्यक्ति को शांति मिलती है।
  2. तुलसी का रस: तुलसी का रस एक प्राकृतिक औषधि है जिसमें अनेक गुण होते हैं। बुखार के समय, तुलसी का रस पीना शरीर को ठंडक पहुंचाने में मदद कर सकता है और साथ ही विषाक्त पदार्थों के खिलाफ रक्षा कर सकता है।
  3. सौंठ और हरी चाय: सौंठ का पाउडर और हरी चाय बुखार में राहत प्रदान कर सकते हैं। एक कप गरम पानी में सौंठ का पाउडर मिलाएं और इसमें हरी चाय की पत्तियां डालें। इसे खाली पेट पीने से बुखार में आराम मिलता है।
  4. गिलोय का रस: गिलोय एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें अनेक औषधीय गुण होते हैं। गिलोय का रस बुखार के समय शरीर को शक्ति प्रदान कर सकता है और रोगी को ताजगी महसूस होती है।
  5. अदरक और नीम का रस: अदरक और नीम का रस मिलाकर पीना बुखार के इलाज में सहायक हो सकता है। इनमें विषाक्त पदार्थों के खिलाफ रक्षा करने के गुण होते हैं और रोगी को आराम मिलता है।
  6. आपाधातु प्रणायाम: आपाधातु प्रणायाम एक और आयुर्वेदिक तकनीक है जो बुखार के समय फायदेमंद हो सकती है। इसमें श्वास को बाहर फेंकने और बाहर खींचने की प्रक्रिया होती है जिससे शरीर की ऊर्जा स्थिति में सुधार होती है।
  7. सारंगधर रस: सारंगधर रस बुखार और शीतलता को दूर करने में मदद कर सकता है। इसे बुखार के समय पीने से रोगी को आराम मिलता है और उसकी ताजगी बनी रहती है।

इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से बुखार के समय व्यक्ति को आराम मिलता है और शरीर की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होता है। यह उपाय न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधार सकते हैं। इसे अनुभव करके ही इसका असली फायदा हो सकता है।

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