आयुर्वेद, जो हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, विभिन्न रोगों के इलाज में अपनी अद्वितीय दृष्टिकोण और उपचार पद्धतियों के लिए प्रसिद्ध है। गले में खराश और सर्दी-जुकाम जैसे आम रोग आयुर्वेद में भी अपनी खास बातें रखते हैं। यहाँ, हम जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार सर्दी-जुकाम के समय घरेलू उपाय क्या हो सकते हैं।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सर्दी-जुकाम का उपचार

  1. तुलसी की पत्तियां: तुलसी की पत्तियां सर्दी-जुकाम के उपचार में अत्यंत फायदेमंद हैं। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो इन्फेक्शन को दूर करने में मदद कर सकते हैं। तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी को पीने से गले की खराश में आराम मिलता है।
  2. गिलोय: गिलोय एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। गिलोय की डेकॉक्शन बनाकर इसे सर्दी-जुकाम के समय पीने से लाभ होता है।
  3. अदरक और शहद: अदरक और शहद का मिश्रण सर्दी-जुकाम के लिए एक प्रमुख आयुर्वेदिक घरेलू उपाय है। अदरक के रस में अनेक औषधीय गुण होते हैं जो इन्फेक्शन को दूर करने में मदद कर सकते हैं, जबकि शहद गले की खराश को शांत करता है।
  4. सौंठ का रस: सौंठ का रस बनाकर इसे पीने से गले की खराश में राहत मिलती है। सौंठ में शीतल, कफनाशक, और बैक्टीरिया को मारने वाले गुण होते हैं।
  5. अम्ला: आयुर्वेद में अम्ला को विशेष रूप से सुरक्षित रहने वाला औषधि माना गया है। अम्ला में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है जो इन्फेक्शन को दूर करने में सहारा प्रदान करता है।
  6. खादीरादि वटी: खादीरादि वटी आयुर्वेद में सर्दी-जुकाम के उपचार के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हें निर्देशित रूप से लेने से गले की खराश में आराम होता है।
  7. लौंग: लौंग में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो इन्फेक्शन को कम करने में मदद करते हैं। सर्दी-जुकाम के समय लौंग को पीसकर इसे शहद के साथ लेने से लाभ हो सकता है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सर्दी-जुकाम का उपचार करने में घरेलू औषधियाँ और नुस्खे अत्यंत प्रभावी हो सकते हैं। इन्हें सही रूप से और निर्देशित मात्रा में लेने से बीमारी से जल्दी निजात मिल सकती है और शरीर को नई ऊर्जा मिल सकती है। इसके अलावा, स्वस्थ आहार और प्रचार्य का पालन करना भी बहुत फायदेमंद हो सकता है।

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